रविवार, 14 जून 2020
रविवार, 7 जून 2020
सोमवार, 1 जून 2020
शनिवार, 30 मई 2020
सोमवार, 11 मई 2020
संस्कृत में प्रयत्न विचार ,,Attempts in Sanskrit (externals)
संस्कृत में प्रयत्न विचार(बाह्य -प्रयत्न)
Attempts in Sanskrit (externals)प्रयत्न - वर्णो कि उच्चारण रीति को प्रयत्न कहते हैं । इसके दो भेद हैं - आभ्यन्तर और बाह्य
- खरो विवाराः श्वासाः अघोषाश्च
- हशः संवारा नादा घोषाश्च।
- वर्गाणां प्रथमतृतीयपञ्चमा यणश्चाल्पप्राणाः
- वर्गाणां द्वितीयचतुर्थौ शलश्च महाप्राणाः।
- अच् प्रत्याहरस्थ वर्णों का उदात्त, अनुदात्त, और स्वरित प्रयत्न होते हैं।
- खरो विवाराः श्वासाः अघोषाश्च ।
- खर प्रत्याहारस्थ वर्णों का विवार,श्वास और अघोष प्रयत्न है।
(प्रत्येक वर्ग के प्रथम और द्वितीय वर्ण) . श,ष,स
- हशः संवारा नादा घोषाश्च।
- वर्गाणां प्रथमतृतीयपञ्चमा यणश्चाल्पप्राणाः
ट ड ण। त द न
- प्रत्येक व्यंजन के चार चार बाह्य यत्न होते हैं।
- प्रत्येक स्वर के तीन-तीन बाह्य यत्न होते है।
- प्रत्येक वर्ण चाहे स्वर हो या व्यंजन का एक ही आभ्यंतर यत्न होता है।
- अतः हम कह सकते हैं कि प्रत्येक स्वर के एक अभ्यांतर व तीन बाह्य,कुल 4 यत्न होते हैं ।
- इसी तरह प्रत्येक व्यंजन के एक आभ्यंतर प्रयत्न तथा चार बाह्य यत्न, कुल 5 यत्न होते हैं
रविवार, 10 मई 2020
संस्कृत में आभ्यान्तर प्रयत्न,Practice in sanskrit
प्रयत्न दो प्रकार के हैं-एक आभ्यन्तर प्रयत्नऔर दूसरा बाह्य-प्रयत्न।
यत्नो द्विधा-
आभ्यन्तरः
बाह्यः च। आभ्यान्तर-प्रयत्न
आद्य: पञ्चधा - स्पृष्टेषत्स्पृष्टेषद्विवृतविवृतसंवृतभेदात् ।
इनमें से प्रथम अर्थात् आभ्यन्तर प्रयत्न पांच प्रकार का होता है । स्पृष्ट, ईषत्स्पृष्ट, ईषद्विवृत, विवृत और संवृत ।
सवर्ण संज्ञा के लिए स्थान और प्रयत्न का ज्ञान होना आवश्यक है।
1.स्पृष्ट प्रयत्न
स्पृष्टं प्रयत्नं स्पर्शानाम् -
स्पृष्ट प्रयत्न स्पर्शवर्णों का होता है ।
1- स्पृष्ट - (जिह्वा का उच्चारण स्थानों पर स्पर्श होना ।)
(स्पर्श वर्ण - क्, ख्, ग्, घ्, ड्., च्, छ्, ज्, झ्, ञ्, ट्, ठ् ड्, ढ्, ण्, त्, थ्, द्, ध् न्, प्, फ्, ब्, भ्, म्)
कु चु टु तु पु (उदित् वर्ण) का है।
2. ईषत्स्पृष्टमन्त:स्थानाम् -
ईषत्स्पृष्ट प्रयत्न अन्तस्थ वर्णों का होता है
जिह्वा का उच्चारण स्थानों को थोडा सा स्पर्श करना ईषत्स्पृष्ट कहलाता है।
अन्तःस्थ वर्ण - य्, र्, ल्, व्
3. ईषद्विवृत
ईषद्विवृतमूष्मणाम् -
ईषद्विवृत प्रयत्न ऊष्म वर्णों का होता है ।
वर्णोच्चारण में कण्ठ का थोडा खुलना ईषद्विवृत कहलाता है।
ऊष्म वर्ण - श्, ष्, स्, ह
4.विवृत
विवृतं स्वराणाम्
विवृत प्रयत्न स्वरों का होता है . वर्णोच्चारण में कण्ठ का पूरा खुलना
स्वर वर्ण - अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ऋ, लृ, ए, . ओ, ऐ, औ
5.संवृत
ह्रस्वस्यावर्णस्य प्रयोगे संवृतम्, प्रक्रियायां तु विवृतमेव -
केवल ह्रस्व अ का उच्चारण संवृत होता है, प्रक्रिया में अ का प्रयोग विवृत ही होता है ।
वर्णोच्चारण में कण्ठ का न खुला हुआ प्रतीत होना ।
हृस्व अ - हस्व अ के उच्चारण में मुख खुलता हुआ प्रतीत नहीं होता है इसलिये उच्चारण में इसका प्रयत्न संवृत है किन्तु प्रक्रिया (प्रयोग) की दशा में इसका प्रयत्न विवृत ही होता है ।
शनिवार, 9 मई 2020
बुधवार, 6 मई 2020
संस्कृत वर्णमाला , Sanskrit varn mala
“संस्कृत भाषा “ उस भाषा को कहते हैं, जो संस्कृत अर्थात शुद्ध एवं परिमार्जित हो ।
"Sanskrit language" is the language which is pure and refined in Sanskrit.
भाषा वाक्यों से बनती है ;वाक्य में अनेक शब्द होते हैं और प्रत्येक शब्द में अनेक ध्वनियाँ रहती है।
Language is made up of sentences; there are many words in a sentence and each word has many sounds.
ध्वनि- मानव की वाणी के उस छोटे-छोटे अंशु को ध्वनि कहते हैं जिसके टुकड़े न किये जा सके। ध्वनि के उस छोटे से लिखित अंश को वर्ण अथवा अक्षर कहते है।
Sound- That small Anshu of human voice is called sound whose pieces cannot be broken. That small part of the sound is called a letter or letters.
उदाहरणार्थ -”चंद्रगुप्त”एक प्रतापी राजा था ।इस वाक्य में 5 शब्द है और प्रत्येक शब्द में पृथक पृथक ध्वनियाँ है।
चंद्रगुप्त शब्द में च्+अ+न्+द्+र्+अ+ग्+उ+प्+त्+अ ग्यारह ध्वनियाँ है
‘एक’ में ‘ए+क्+अ’ तीन ध्वनियाँ है।
For example - "Chandragupta" was a majestic king. This sentence has 5 words and each word has different sounds.
The word Chandragupta has ch + a + n + d + d + a + g + u + p + t + a eleven sounds'
A' has 'A + K + A' three sounds.
स्वर और व्यञ्जन-
ध्वनियों के दो भेद हैं ।
स्वर और व्यञ्जन में ध्वनि का अन्तर है।
Vowels and personalities
There are two distinctions of sounds.
There is a difference of sound between voice and speech.
जिन वर्णां के उच्चारण में अन्य वर्णों की सहायता अपेक्षित नहीं होती है,वे स्वर कहलाते हैं। स्वर तीन प्रकार के होते हैं। हृस्व ,दीर्घ, मिश्रित।
Characters whose pronunciation is not expected to help other characters are called vowels. There are three types of vowels.Heart, long, mixed.
स्वर तेरह होते हैं।
हस्व अ इ उ ऋ ल़
दीर्घ आ ई ऊ ऋ
मिश्रविकृत दीर्घ़ ए ऐ ओ औ
The vowels are thirteen.
Have a good day
Long time io
Composite galleries
माहेश्वर सूत्रों के अनुसार स्वर(अच्)9 होते हैं।अ,इ,उ,ऋ,लृ,ए,ओ,ऐ,औ
(अ इ उ ऋ लृ -मूल स्वर,ए ओ ऐ औ-संयुक्त स्वर
According to Maheshwar Sutras, there are 9 vowels (ach).
(A-U-R-L-original vowel, A O A O and combined vowel)
A, I, U, R, Lr, A, O, Ai, Au
पाणिनीय शिक्षा के अनुसार स्वर (21/22)
Vowel according to Panini education (21/22)
- अ,इ,उ,ऋ,(हस्व,दीर्घ,प्लुत 4×3=12 )
- लृ(केवल प्लुत)या हस्व और प्लुत(1या2)
- ए ओ ऐ औ(केवल दीर्घ और प्लुत 4×2=8
- A, I, U, R, (lust, long, plut 4 × 3 = 12)
- Lru (plut only) or hasv and plut (1 or 2)
- A O A O (Long and Plot only 4 × 2 = 8
व्यञ्जन वर्ण. जिन वर्णों के उच्चारण करने में स्वर वर्णों की
सहायता लेनी पडती है, वे व्यञ्जन कहलाते हैं। व्यंजन 33 होते हैं।
(हल्)-ह्,य्,व,र्,ल्,ञ्,म्,ङ्,ण्,न्,झ्,भ्,घ्,ढ्,ध्,ज् ब् ग् ड् द् ख् फ् छ् ठ् थ् च् ट् त् क् प् श् ष् स्।
Personal Characters.
Help is needed, they are called personalities. There are 33 dishes. (Hall) -h, ya, va, g, l, j, m, m,,, j, n, j, bh, gh, dh, dh, dh, jh. Sch.The letters that are used to pronounce vowels
कवर्ग-क,ख,ग,घ,ङ।
चवर्ग-च,छ,ज,झ,ञ।
टवर्ग- ट ,ठ, ड,ढ,ण।
तवर्ग- त,थ,द,ध,न।
पवर्ग- प्,फ,ब,भ,म ।
अन्तस्थ-य,र,ल,व।
उष्म- श,ष,स,ह।
Kavarg-a, b, c, d, ङ.
Chavarg-ch, ch, j, jh, j.
Tvarg-t, th, d, dh, n.
Tavarga- t, tha, the, dh, n.
Classes - p, f, b, bh, m.
Antastha-ya, R, L, V.
The heat is Sh, Sh, S, H.
इन 25वर्णों के उच्चारण में तालु आदि उच्चारण स्थानों का स्पर्श होता है,अतः उन्हें स्पर्श वर्ण कहा जाता है।(ञय्-प्रत्याहार)
कु चु टु तु पु में हस्व उ की इत्संज्ञा होती है। इन्हें उदित वर्ण भी कहा जाता है।
In the pronunciation of these 25 varnas there is a touch of accented places like the palate, so they are called touch varnas.
Ku chu tu tu pu contains the idol of Hasav u. They are also called Udit Varna.
अन्तःस्थवर्ण-4(यण् प्रत्याहार)
य्,व्,र्,ल्
इनके उच्चारण में वायु मुख से बाहर नहीं निकल कर, अन्दर ही विद्यमान रहती है।
Antasthevarna-4 (ie Pratyahar)
Y, v, l, l
In their pronunciation, air does not come out of the mouth, it remains insid
ऊष्मवर्ण-4(शल् प्रत्याहार ) श् ष् स् ह् - इनके उच्चारण में मुख सेऊष्मा का निकास होता है,अतः इन्हें ऊष्मवर्ण कहा जाता है।
ष्मष्मवर्वर्varna-4 (हार) प्रत्या प्रत्या pratihar) ष्ष् स् ह - - - There is an exhalation of mucus from the mouth in their pronunciation, hence they are called ष्मष्मवर्वर्varāna.
संयुक्त वर्ण
क्ष-क्+ष्
त्र- त्+र्
ज्ञ- ज्+ञ
Compound characters
X-K+sh
Tri-t +r
J-J+ni
अयोगवाह- ऐसे वर्ण या चिन्ह् जिनका पाठ सामान्य वर्णमाला में नहीं है,फिर भी लेखन या उच्चारण में प्रयुक्त होते हैंअयोगवाह कहलाते हैं यह अयोगवाह निम्नलिखित हैं।
Ayogavah - The letters or signs which are not recited in the normal alphabet, yet are used in writing or pronunciation.
1.अनुस्वार-(अं)-अ के बाद स्थित यह चिन्ह अनुस्वार कहलाता है।
2.विसर्ग-(अः)- अ के बाद स्थित चिन्ह् को : कहा जाता है ।विसर्ग को ही विसर्जनीय भी कहा जाता है।
1. Anusvara- (An) - This sign located after A is called Anusvara.
2. Visarga- (A:) - The sign located after A is called: Visarga itself is also called immersible.
3.अर्धविसर्ग- विसर्ग का आधा स्वरूप अर्धविसर्ग कहलाता है।अर्धविसर्ग दो प्रकार के हैं।
(क)जिह्वामूलीय
(ख) उपध्मानीय
3. Half-hemisphere- Half form of Visarga is called Ardhivasarga. There are two types of hemispheres.
(A) linguistic
(B) Deputy
(क)जिह्वामूलीय- क, और ख से पहले विद्यमान अर्ध-विसर्ग(आधा विसर्ग)
जिह्वामूलीय होता है।
(ख)उपध्मानीय-प और फ से विद्यमान अर्ध-विसर्ग उपध्मानीय होता है।
(A) Jihvamuleya - half-immersion existing before A, and B
It is linguistic.
(B) The quasi-diffusion existing from sub-c and f is sub-sub.
(4)यम- वर्ग के प्रारम्भिक चार वर्णों के द्वित्व रुप के आगे, किसी भी वर्ग के पञ्चम वर्ण (ड.ञ ण न म)के रहने पर, पहले के जैसे द्वितीय वर्ण को यम कहा जाता है।पाणिनीय शिक्षा में यम वर्ण चार स्वीकार किये गये हैं।
(4) In front of the dual form of the first four varnas of the Yama class, if the fifth varna (d. Nam) of any class is inhabited, the second varna like the first is called yama. Four have been accepted.
“पलिक्क्नी”में द्वितीय ‘क’यम है।
“चख्नतु”में द्वितीय’ख’यम हैं।
“अग्ग्निः”में द्वितीय’ग’यम हैं।
“घ्घ्नन्ति में द्वितीय ‘घ’ यम हैं।
There is a second 'kayyam' in "Palikkani"."
There are second 'gagayams' in "fire".
“In Gh्नnanti there is the second‘ Gh ’Yama.
Chakhnatu" has the second 'kakh'yam.
अनुस्वार म या न का रूपान्तर होता है और विसर्ग र् या स् का। अनुस्वार और विसर्ग सदैव स्वरों के पीछे प्रयुक्त होते हैं ।अतः इन्हें स्वर भी माना जाता है ।गुण की अपेक्षा से स्वरों के तीन भेद होते हैं -हस्व,दीर्घ और प्लूत।
Anusvar is the transformation of a word or a word and of a vowel or word. Anusvara and Visarga are always used behind vowels. Hence they are also considered vowels. Vowels have three distinctions - Hvas, Long and Plut, as expected by virtue.
एकमात्रो भवेद् हृस्वो
त्रिमात्रस्तु प्लुतो ज्ञेयो
व्यञ्जनं चार्धमात्रिकम्।।
अर्थात् एकमात्रिक हस्व,द्विमात्रिक दीर्घ़ तथा त्रिमात्रिक प्लुत कहा जाता है और व्यंजन में आधी मात्रा होती है। उच्चारण की विशेषता के कारण प्रत्येक स्वर के तीन भेद होते हैं-
1.उदात्त
2.अनुदात्त
3.स्वरित।
उदात्त- उच्चैरुदातः
अनुदात्त- नीचैरनुदातः
स्वरित- समाहारःस्वरितः
तालु आदि स्थानों के अधोभाग से उच्चारित होने वाले स्वर अनुदात्त होते हैं।
- Soleus heart
- Trimetastu Pluto Knowledge
- Vyajnānā chāradhāmatikam.
- That is, the solitary solvation is called the bimetallic length and the trimetric plut, and the consonant has half the volume. Due to the characteristic of pronunciation, each vowel has three distinctions -
- 1.Used
- 2. Approved
- 3. accelerated.
- Sublime - Highly
- That is, the vowels that are pronounced from the upper part of the palate etc. are called sublime.
- Non-approved
- The vowels that are pronounced from the subdivision of the palate etc. are acceptable.
- Spelled
- These two religions, which have mixed and sublated religions, are called Swar Swar.https://youtu.be/OgPDIWnfNSg