सोमवार, 11 मई 2020

संस्कृत में प्रयत्न विचार ,,Attempts in Sanskrit (externals)

 संस्कृत में प्रयत्न विचार(बाह्य -प्रयत्न)

Attempts in Sanskrit (externals)

प्रयत्न - वर्णो कि उच्चारण रीति को प्रयत्न कहते हैं । इसके दो भेद हैं - आभ्यन्तर और बाह्य 
आभ्यन्तर - वर्णोच्चारण के पूर्व ह्रदय में जो आयास होता है, उसे आभ्यन्तर प्रयत्न कहते हैं । यह पांच प्रकार का होता है :
१.स्पष्ट - 'क' से 'म' पर्यन्त  
२. ईषस्पष्ट - य र ल व
३.ईषद्विवृत - श ष स ह 
४.विवृत - स्वर 
५. संवृत


  

       वर्णस्‍य मुखात् बहिरागमनसमये या         चेष्‍टा भवति स: तु बाह्यप्रयत्‍न: इति  कथ्‍यते । 
           बाह्यप्रयत्‍न: एकादशधा भवति ।
  
  विवारास्संवारश्वासो नादो घोषोऽघोषोऽल्पप्राणो ....महाप्राण उदात्तोऽनुदात्त स्वरितश्चेति" 

   विवार:,संवार: ,श्‍वास: ,नाद: ,घोष:, अघोष: ,
 अल्‍पप्राण: ,महाप्राण:,उदात्‍त:,अनुदात्‍त:,स्‍वरित: 

 इनमें प्रारम्भ के 8 बाह्य यत्न व्यञ्जनों से सम्बन्धित होते हैं।तथा अन्तिम तीन बाह्य यत्न स्वरों से सम्बन्धित होतै हैं।
  •  खरो विवाराः श्वासाः अघोषाश्च
  • हशः संवारा नादा घोषाश्च।
  • वर्गाणां प्रथमतृतीयपञ्चमा यणश्चाल्पप्राणाः
  • वर्गाणां द्वितीयचतुर्थौ शलश्च महाप्राणाः।
  • अच् प्रत्याहरस्थ वर्णों का उदात्त, अनुदात्त, और स्वरित प्रयत्न होते हैं।

  •  खरो विवाराः श्वासाः अघोषाश्च । 
  • खर प्रत्याहारस्थ वर्णों का विवार,श्वास और अघोष प्रयत्न है।

    1.विवार                   वर्ण   
    2.श्वास                क, ख, च, छ,    . 3.अघोष     ट,ठ,त,थ, प,फ      
(प्रत्येक वर्ग के प्रथम और द्वितीय वर्ण)              . श,ष,स
खर्-  ख्,फ्,छ,ठ,थ्,च्,ट्,त्,क्,प्,श्,ष्,स्।

विवार: - विवारस्‍य अर्थ: मुखस्‍य उद्घाटनमिति अस्ति - ''विवारयति विकासयति मुखमिति'' । अर्थात् वर्णोच्‍चारणे मुखोद्घाटनं विवार: इति कथ्‍यते 
श्‍वास: - येषामुच्‍चारणे श्‍वास: च‍लति इत्‍युक्‍ते येषामुच्‍चारणे मुखात् अधिकवायु: निर्गच्‍छति तत्र श्‍वासप्रयत्‍न: उच्‍यते ।
अघोष: - गुंजनस्‍याभाव: अघोष इति कथ्‍यते ।

  • हशः संवारा नादा घोषाश्च।
हश् प्रत्याहार के वर्णों का संवार,नाद,और घोष प्रयत्न है।
 4.संवार   ग घ ड.,ज झ ञ,              
 5.नाद      ड,ढ,ण। द ध न                 
 6.घोष    ब भ म (वर्गों के3 4 5 वर्ण)
            ह+  (य व र ल)अन्तःस्थ
हश्-ह् य् व् र् ल् ञ् म् ङ् ण् न् झ् भ् घ् ढ् ध् ज् ब् ग् ड् द्।

संवार: - वर्णानामुच्‍चारणे मुखस्‍य संकोच: (अल्‍प उद्घाटनम्) संवार इति कथ्‍यते ।

नाद: - मधुरा ध्‍वनि: नाद इति कथ्‍यते ।

घोष: - वर्णोच्‍चारणे गुंजनं घोष इति कथ्‍यते ।

  • वर्गाणां प्रथमतृतीयपञ्चमा यणश्चाल्पप्राणाः
7.अल्पप्राण- क ग ड.       
                    च ज ञ
ट ड ण।                   त द न
                      प ब म
                      य,व,र,ल (यण्)

अल्‍पप्राण: - वर्णोच्‍चारणे प्राणवायो: अल्‍पप्रयोग: अल्‍पप्राण इति कथ्‍यते ।
 8.वर्गाणां द्वितीयचतुर्थौ शलश्च महाप्राणाः
वर्गों के द्वितीय, चतुर्थ अक्षर और शल् का महाप्राण प्रयत्न होता है।वर्ग के द्वितीय अक्षर हैं -ख,फ,छ,ठ,थ,और चतुर्थ हैं -घ,झ,ढ,ध,भ तथा शल् हैं-श्,ष्,स्,ह्।
 वर्णोच्‍चारणे प्राणवायो: अतिप्रयोग: महाप्राण इति कथ्‍यते ।

अल्पप्राण और महाप्राण प्रयत्न, ये दोनों पृथक्  होते हुए भी किसी भी वर्ण का केवल अल्पप्राण अथवा केवल महाप्राण  नहीं होता है। अपितु संवार, नाद, घोष ,अल्पप्राण या संवार, नाद, घोष,महाप्राण तथा विवार, श्वास, अघोष ,अल्पप्राण या विवार,श्वास,अघोष महाप्राण प्रयत्न,इस प्रकार से प्रत्येक वर्ण के चार चार प्रयत्न होते हैं।
 सभी स्वरों के तीन बाह्य यत्न होते हैं।
 9.उदात्त- उच्चैरुदातः
         तालुआदि उच्चारण स्थानों में उपरि भाग में निष्पन्न होने वाला स्वर उदात्त होता है। उदात्त स्वर के लिए किसी चिन्ह का प्रयोग नहीं होता।
जैसे-अ,आ,इ,ई आदि।
10.अनुदात्त- नीचैरनुदात्तः
       तालु आदि उच्चारण स्थानों के  अधोभाग में निस्पन्न होने वाला स्वर अनुदान होता है ।अनुदात्त स्वर के लिए स्वर के नीचे आडी पंक्ति का प्रयोग किया जाता है।
    11.स्वरितः- समाहारःस्वरितः
           उदास व अनुदात्त का समाहार स्वरित होता है। स्वरित का प्रारंभिक अर्धभाग उदात्त तथा अंतिम अर्धभाग अनुदात्त होता है ।स्वरित स्वर के लिए ऊपर खड़ी पंक्ति का प्रयोग होता है।
 ध्यातव्य-
  • प्रत्येक व्यंजन के चार चार बाह्य यत्न होते  हैं।
 तीन-विवार, श्वास, अघोष, या संवार,नाद,घोष
  एक-अल्पप्राण या महाप्राण।
  • प्रत्येक स्वर के तीन-तीन बाह्य यत्न होते है।
(उदात्त,अनुदात्त,और स्वरित)

  • प्रत्येक वर्ण चाहे स्वर हो या व्यंजन का एक ही आभ्यंतर यत्न होता है।
  • अतः हम कह सकते हैं कि प्रत्येक स्वर के एक अभ्यांतर व तीन बाह्य,कुल 4 यत्न होते हैं ।
  • इसी तरह प्रत्येक व्यंजन के एक आभ्यंतर प्रयत्न तथा चार बाह्य यत्न, कुल 5 यत्न होते हैं



Attempts in Sanskrit (externals) Attempts in Sanskrit (externals) Prayatna - The pronunciation method of the characters is called Prayatna. It has two distinctions - inner and outer Abhyantra - The ayas that occur in the heart before the alphabet, it is called Abhyatna effort. It is of five types: 1.Speak - from 'A' to 'M' 2. Blasphemous 3. 4. Description - Vowel 5. Closed Varnasya mukhata Bahiragamanamaye or Chesta bhavati sa: tu externity: iti kathte. Outwardly: Ekadashadha Bhavati. Vivarasanvarvasto nado ghoshoghoshoalpprano .... mahapraana udattoanudatta swaritashcheti " Vivara:, Samvar:, Shwas:, Nad:, Ghosh:, Aghosha:, Leviticus:, lexical:, sublime, unspoken, unanimous: In these, the 8 external Yatnas of the beginning are related to the individuals. And the last three external Yatnas are related to the vowels. Kharo vivara: shwasa: aghoshash Hash: Svara nada Ghoshash. Vargana Prathamatriyatpanchama yanaschaalpaprana: Varnaan Second

रविवार, 10 मई 2020

संस्कृत में आभ्यान्तर प्रयत्न,Practice in sanskrit

संस्कृत में आभ्यान्तर प्रयत्न
  • प्रयत्न दो प्रकार के हैं-एक आभ्यन्तर प्रयत्नऔर दूसरा बाह्य-प्रयत्न।

यत्नो द्विधा- 

आभ्यन्तरः

बाह्यः च।                                                                                 आभ्यान्तर-प्रयत्न            

                          आद्य: पञ्चधा - स्‍पृष्‍टेषत्‍स्‍पृष्‍टेषद्वि‍वृतवि‍वृतसंवृतभेदात् ।

  •  इनमें से प्रथम अर्थात् आभ्‍यन्‍तर प्रयत्‍न पांच प्रकार का होता है । स्‍पृष्‍ट, ईषत्‍स्‍पृष्‍ट, ईषद्विवृत, विवृत और संवृत । 

,वर्णों के उच्चारण से पहले किये जाने वाले आन्तरिक प्रयास को आभ्यन्तर यत्न कहा जाता है।
  • सवर्ण संज्ञा के लिए स्थान और प्रयत्न का ज्ञान होना आवश्यक है।

                   1.स्पृष्ट प्रयत्न

                  स्‍पृष्‍टं प्रयत्‍नं स्‍पर्शानाम् - 

स्‍पृष्‍ट प्रयत्‍न स्‍पर्शवर्णों का होता है ।

1- स्‍पृष्‍ट - (जिह्वा का उच्‍चारण स्‍थानों पर स्‍पर्श होना ।)

(स्‍पर्श वर्ण - क्, ख्, ग्, घ्, ड्., च्, छ्, ज्, झ्, ञ्, ट्, ठ् ड्, ढ्, ण्, त्, थ्, द्, ध् न्, प्, फ्, ब्, भ्, म्)

  कु चु टु तु पु (उदित् वर्ण) का है।

              2.   ईषत्‍स्‍पृष्‍टमन्‍त:स्‍थानाम् - 

 ईषत्‍स्‍पृष्‍ट प्रयत्‍न अन्‍तस्‍थ वर्णों का होता है   

जिह्वा का उच्‍चारण स्‍थानों को  थोडा सा स्‍पर्श करना ईषत्स्पृष्ट कहलाता है।

अन्‍तःस्‍थ वर्ण - य्, र्, ल्, व् 

      3. ईषद्विवृत

                ईषद्विवृतमूष्‍मणाम्

   ईषद्विवृत प्रयत्‍न ऊष्‍म वर्णों का होता है । 

    वर्णोच्‍चारण में कण्‍ठ का थोडा खुलना ईषद्विवृत कहलाता है।

          ऊष्‍म वर्ण - श्, ष्, स्, ह

                       4.विवृत

    विवृतं स्‍वराणाम् 

                    विवृत प्रयत्‍न स्‍वरों का होता है      .    वर्णोच्‍चारण में कण्‍ठ का पूरा खुलना 

    स्‍वर वर्ण - अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ऋ, लृ, ए,           . ओ, ऐ, औ   


                        5.संवृत 

ह्रस्‍वस्‍यावर्णस्‍य प्रयोगे संवृतम्, प्रक्रियायां तु विवृतमेव -

केवल ह्रस्‍व अ का उच्‍चारण संवृत होता है, प्रक्रिया में अ का प्रयोग विवृत ही होता है ।

वर्णोच्चारण में कण्‍ठ का न खुला हुआ प्रतीत होना ।

  हृस्‍व अ - हस्‍व अ के उच्‍चारण में मुख खुलता हुआ प्रतीत नहीं होता है इसलिये उच्‍चारण में इसका प्रयत्‍न संवृत है किन्‍तु प्रक्रिया (प्रयोग) की दशा में इसका प्रयत्‍न विवृत ही होता है ।

https://youtu.be/UPx6y5DMac4



बुधवार, 6 मई 2020

संस्कृत वर्णमाला , Sanskrit varn mala

              संस्कृत-वर्णमाला,Sanskrit alphabet
  • संस्कृत भाषा “ उस भाषा को कहते हैं, जो संस्कृत अर्थात शुद्ध एवं परिमार्जित हो ।

  • "Sanskrit language" is the language which is pure and refined in Sanskrit.

  • भाषा वाक्यों से बनती है ;वाक्य में अनेक शब्द होते हैं और प्रत्येक शब्द में अनेक ध्वनियाँ रहती है।

  • Language is made up of sentences; there are many words in a sentence and each word has many sounds.

    • ध्वनि- मानव की वाणी के उस छोटे-छोटे अंशु को ध्वनि कहते हैं जिसके टुकड़े न किये जा सके। ध्वनि के उस छोटे से लिखित अंश को वर्ण अथवा अक्षर कहते है।

       Sound- That small Anshu of human voice is called sound whose pieces cannot be broken.  That small part of the sound is called a letter or letters.

  • उदाहरणार्थ -”चंद्रगुप्त”एक प्रतापी राजा था ।इस वाक्य में 5 शब्द है और प्रत्येक शब्द में पृथक पृथक ध्वनियाँ है।

  •  चंद्रगुप्त शब्द में  च्+अ+न्+द्+र्+अ+ग्+उ+प्+त्+अ ग्यारह ध्वनियाँ है

  • ‘एक’ में ‘ए+क्+अ’ तीन ध्वनियाँ है।

  • For example - "Chandragupta" was a majestic king. This sentence has 5 words and each word has different sounds.

  • The word Chandragupta has ch + a + n + d + d + a + g + u + p + t + a eleven sounds'

  • A' has 'A + K + A' three sounds.

  •               स्वर और व्यञ्जन- 

         ध्वनियों के दो भेद हैं ।

  •   स्वर और व्यञ्जन में ध्वनि का अन्तर है।

  • Vowels and personalities

     There are two distinctions of sounds.

    There is a difference of sound between voice and speech.

  • जिन वर्णां के उच्चारण में अन्य वर्णों की सहायता अपेक्षित नहीं होती है,वे स्वर कहलाते हैं।  स्वर तीन प्रकार के होते हैं।      हृस्व ,दीर्घ, मिश्रित।

  • Characters whose pronunciation is not expected to help other characters are called vowels.  There are three types of vowels.Heart, long, mixed.

  •          स्वर तेरह होते हैं।

  • हस्व        अ इ उ ऋ ल़

  • दीर्घ         आ ई ऊ ऋ

  • मिश्रविकृत दीर्घ़         ए ऐ ओ औ


  • The vowels are thirteen.


     Have a good day


     Long time io


     Composite galleries

  • माहेश्वर सूत्रों के अनुसार स्वर(अच्)9 होते हैं।अ,इ,उ,ऋ,लृ,ए,ओ,ऐ,औ

    (अ इ उ ऋ लृ -मूल स्वर,ए ओ ऐ औ-संयुक्त स्वर

    According to Maheshwar Sutras, there are 9 vowels (ach).

     (A-U-R-L-original vowel, A O A O and combined vowel)

  • A, I, U, R, Lr, A, O, Ai, Au

  • पाणिनीय शिक्षा के अनुसार स्वर  (21/22)

     Vowel according to Panini education (21/22)

  •    - अ,इ,उ,ऋ,(हस्व,दीर्घ,प्लुत 4×3=12 )

       - लृ(केवल प्लुत)या हस्व और प्लुत(1या2)

       - ए ओ ऐ औ(केवल दीर्घ और प्लुत 4×2=8 

    - A, I, U, R, (lust, long, plut 4 × 3 = 12)

    - Lru (plut only) or hasv and plut (1 or 2)

     - A O A O (Long and Plot only 4 × 2 = 8

  •             व्यञ्जन वर्ण.                                       जिन वर्णों के उच्चारण करने में स्वर वर्णों की

    सहायता लेनी पडती है, वे व्यञ्जन कहलाते हैं। व्यंजन 33 होते हैं।

    (हल्)-ह्,य्,व,र्,ल्,ञ्,म्,ङ्,ण्,न्,झ्,भ्,घ्,ढ्,ध्,ज् ब् ग् ड् द् ख् फ् छ् ठ् थ् च् ट् त् क् प् श् ष् स्।

  •            Personal Characters.  

    Help is needed, they are called personalities.  There are 33 dishes. (Hall) -h, ya, va, g, l, j, m, m,,, j, n, j, bh, gh, dh, dh, dh, jh.  Sch.The letters that are used to pronounce vowels

  •             कवर्ग-क,ख,ग,घ,ङ।

                चवर्ग-च,छ,ज,झ,ञ।

                टवर्ग- ट ,ठ, ड,ढ,ण।

                तवर्ग-  त,थ,द,ध,न।

                पवर्ग- प्,फ,ब,भ,म ।

               अन्तस्थ-य,र,ल,व।

                उष्म-     श,ष,स,ह।

                 Kavarg-a, b, c, d, ङ.

                 Chavarg-ch, ch, j, jh, j.

                 Tvarg-t, th, d, dh, n.

                  Tavarga- t, tha, the, dh, n.

                  Classes - p, f, b, bh, m.

                  Antastha-ya, R, L, V.

                  The heat is Sh, Sh, S, H.

  • इन 25वर्णों के उच्चारण में तालु आदि उच्चारण स्थानों का स्पर्श होता है,अतः उन्हें स्पर्श वर्ण कहा जाता है।(ञय्-प्रत्याहार)

    कु चु टु तु पु में हस्व उ की इत्संज्ञा होती है। इन्हें उदित वर्ण भी कहा जाता है।

  • In the pronunciation of these 25 varnas there is a touch of accented places like the palate, so they are called touch varnas.

  •  Ku chu tu tu pu contains the idol of Hasav u.  They are also called Udit Varna.

  • अन्तःस्थवर्ण-4(यण् प्रत्याहार)

    य्,व्,र्,ल्

    इनके उच्चारण में वायु मुख से बाहर नहीं निकल कर, अन्दर ही विद्यमान रहती है।

  • Antasthevarna-4 (ie Pratyahar)

    Y, v, l, l 

  •  In their pronunciation, air does not come out of the mouth, it remains insid 

  • ऊष्मवर्ण-4(शल् प्रत्याहार )                        श् ष् स् ह् - इनके उच्चारण में मुख     सेऊष्मा का निकास होता है,अतः इन्हें ऊष्मवर्ण कहा जाता है।  

  • ष्मष्मवर्वर्varna-4 (हार) प्रत्या प्रत्या pratihar) ष्ष् स् ह - - - There is an exhalation of mucus from the mouth in their pronunciation, hence they are called ष्मष्मवर्वर्varāna.

  • संयुक्त वर्ण

       क्ष-क्+ष्

       त्र- त्+र्

      ज्ञ-  ज्+ञ

  • Compound characters

     X-K+sh

     Tri-t +r

     J-J+ni

    • अयोगवाह- ऐसे वर्ण या चिन्ह् जिनका पाठ सामान्य वर्णमाला में नहीं है,फिर भी लेखन या उच्चारण में प्रयुक्त होते हैंअयोगवाह कहलाते हैं यह अयोगवाह निम्नलिखित हैं।

    • Ayogavah - The letters or signs which are not recited in the normal alphabet, yet are used in writing or pronunciation.

    • 1.अनुस्वार-(अं)-अ के बाद स्थित यह चिन्ह अनुस्वार कहलाता है।

      2.विसर्ग-(अः)- अ के बाद स्थित चिन्ह् को : कहा जाता है ।विसर्ग को ही विसर्जनीय भी कहा जाता है।

    • 1. Anusvara- (An) - This sign located after A is called Anusvara.

      2. Visarga- (A:) - The sign located after A is called: Visarga itself is also called immersible.

    • 3.अर्धविसर्ग- विसर्ग का आधा स्वरूप अर्धविसर्ग कहलाता है।अर्धविसर्ग दो प्रकार के हैं।

                        (क)जिह्वामूलीय      

                        (ख) उपध्मानीय         

       3. Half-hemisphere- Half form of Visarga is called Ardhivasarga. There are two types of hemispheres. 

    • (A) linguistic 

    • (B) Deputy

    • (क)जिह्वामूलीय- क, और ख से पहले विद्यमान अर्ध-विसर्ग(आधा विसर्ग) 

      जिह्वामूलीय होता है।

      (ख)उपध्मानीय-प और फ से विद्यमान अर्ध-विसर्ग उपध्मानीय होता है।

    • (A) Jihvamuleya - half-immersion existing before A, and B

       It is linguistic.

      (B) The quasi-diffusion existing from sub-c and f is sub-sub.

    • (4)यम- वर्ग के प्रारम्भिक चार वर्णों के द्वित्व रुप के आगे, किसी भी वर्ग के पञ्चम वर्ण (ड.ञ ण न म)के रहने पर, पहले के जैसे द्वितीय वर्ण को यम कहा जाता है।पाणिनीय शिक्षा में यम वर्ण चार स्वीकार किये गये हैं।

    • (4) In front of the dual form of the first four varnas of the Yama class, if the fifth varna (d. Nam) of any class is inhabited, the second varna like the first is called yama.  Four have been accepted.

    •      

           “पलिक्क्नी”में द्वितीय ‘क’यम है।

             “चख्नतु”में द्वितीय’ख’यम हैं।

               “अग्ग्निः”में द्वितीय’ग’यम हैं।

                “घ्घ्नन्ति में द्वितीय ‘घ’ यम हैं।

      There is a second 'kayyam' in "Palikkani"."

       There are second 'gagayams' in "fire".

       “In Gh्नnanti there is the second‘ Gh ’Yama.

    • Chakhnatu" has the second 'kakh'yam.

      • अनुस्वार म या न का रूपान्तर होता है और विसर्ग र् या स् का।  अनुस्वार और विसर्ग सदैव स्वरों के पीछे प्रयुक्त होते हैं ।अतः इन्हें स्वर भी माना जाता है ।गुण की अपेक्षा से स्वरों के तीन भेद होते हैं -हस्व,दीर्घ और प्लूत।

      • Anusvar is the transformation of a word or a word and of a vowel or word.  Anusvara and Visarga are always used behind vowels. Hence they are also considered vowels. Vowels have three distinctions - Hvas, Long and Plut, as expected by virtue.

      • एकमात्रो भवेद् हृस्वो 

                   त्रिमात्रस्तु प्लुतो ज्ञेयो

                    व्यञ्जनं चार्धमात्रिकम्।।

        अर्थात् एकमात्रिक हस्व,द्विमात्रिक दीर्घ़ तथा त्रिमात्रिक प्लुत कहा जाता है और व्यंजन में आधी मात्रा होती है। उच्चारण की विशेषता के कारण प्रत्येक स्वर के तीन भेद होते हैं-

                           1.उदात्त

                            2.अनुदात्त

                            3.स्वरित।

        • उदात्त-  उच्चैरुदातः

             अर्थात् तालु आदि स्थानों के ऊर्ध्व भाग से उच्चारित होने वाले स्वर उदात्त कहलााते हैैंं।
      • अनुदात्त- नीचैरनुदातः

      •        तालु आदि स्थानों के अधोभाग से उच्चारित होने वाले स्वर अनुदात्त होते हैं।

        •  स्वरित- समाहारःस्वरितः

          उदात्त और अनुदात्त ये दोनों धर्म जिसमें मिश्रित हो,वे स्वर स्वरित कहलाते हैं।
            Soleus heart

             Trimetastu Pluto Knowledge

             Vyajnānā chāradhāmatikam.


             That is, the solitary solvation is called the bimetallic length and the trimetric plut, and the consonant has half the volume.  Due to the characteristic of pronunciation, each vowel has three distinctions -

             1.Used

             2. Approved

             3. accelerated.

             Sublime - Highly

             That is, the vowels that are pronounced from the upper part of the palate etc. are called sublime.
             Non-approved

             The vowels that are pronounced from the subdivision of the palate etc. are acceptable.

             Spelled

सोमवार, 4 मई 2020

Names of food items in Sanskrit, English and Hindi,खाने की वस्तुओं के नाम संस्कृत,अंग्रेजी व हिन्दी में

Names of food items in         Sanskrit,                        English and Hindi

     खाने की वस्तुओं के नाम संस्कृत,अंग्रेजी व हिन्दी में
                 भोज्यपदार्थानां नामानि


       अचार,Pickle,सन्धितम्  

  •     इमरती ,Worshi,अमृती


       
                  कचौरी ,Kachori,कचौरी


                 कढ़ी,Kadhi,तेमनम्



                     खीर, dessert,पायसम


      खिचड़ी,Polenta,खेचराः,कृशरा


        कलाकन्द,Kalakanda,कलाकन्दः


       कुुुलफी,Qulafi,कूूूलपी।
         काँफी,Coffee,(कफघ्नी,हर्षदा)

      गजक,Gajak, गजकः


       गुुुुड़,Gudud,गुडः


       गुुुआबजामुुन,sweet dish,दुग्धपूपिका



       घी,Ghee,घृतम्,आज्यम्


           घेेेवर,Ghevar,घृतपूरः


      चटनी,sauce,अवलेेेहः 


         चाट,Licking,अवदंशः।

      चाय,Tea, चायम्

     चावल,Rice,ओदनम्


       चीनी,sugar,शर्करा


          चीला,Cheela, चित्रापूपः


     छाछ(मट्ठा),Buttermilk,तक्रम्


      जलेेबी,Syrup field rings,कुण्डली,             कुण्डलिका।

      चाकलेेेट, Chocolate,चाकलेहः


    टोस्ट,Toast,भृृष्टापूपः


         डबल रोटी, bread Loaf,अभ्यूषः


दही,curd,दधि


 दहीबडा,Curd Vada,दधिवटकः


      दाल,lentils, सूपः


     दालमोठ, Lentil,दालमुद्ग्ः


      दूूूध,Milk,दुग्धम्, पयः, क्षीरम्


     नमकीन,salty, लवणान्नम्


    नमकीन सेेेव,Namkeen Serve, सूत्रकः


      पकोडेे,Pakode,पक्वपौडः, पक्कवटिका


  पपडी,Papdi,पर्पटी


      परौंंठा,Paarantha,पूपिका, प्ररोटिका।


  पापड़,Papad,पर्पटा


      पुुुलाव,     Casserole,       पुुलाकः


    पूूूआ, Poooa,                    पूपः, अपूपः। 

           पुरी, Puri,            शुष्कली,पूरिका

        पेेेेड़ा,      Pareda,                  पिण्डः


    पेेेठे की मिठाई, Pethet's Sweets,कौष्माण्डम्


     पेस्ट्री, Pastry,                      पिष्टान्नम्

    बताशा, Betasha,                      वाताशः


    बरफी,  Barfi,                             हैमी
    
    बाटी   Baati,                          अङ्गारिका


बालूूशाही,Sandstone,          मिष्ठमण्ठः,मधुुुमण्ठः


   बिस्कुट,      Biscuits।              पिष्टकः


       मक्खन,    butter,           नवनीतम्,दधिजम्


      मठरी,    Mathri,                     मठकः


     मसाला,          Spice         व्यञ्जनम्, उपस्करः


    मिठाई,    sweet,             मिष्ठान्नम्

    मालपूआ,      Malpua,             मल्लपूपः


    मावा    Mawa                      किलाटः



      मिश्री,   Sugar candy,  सितोपला, शर्करजा


    मुरब्बा,    Marmalade,   मिष्टपाकः,खाण्डवः


     रबडी,  Rabdi,                किलटिका,क्षैरेयम्


      रसगुल्ला,     Rasagulla,      रसगोलः



     रायता,        Raita,           दाधेयम्,राज्यक्तम्

   लड्डू,              Laddu,                      मोदकः


       लप्सी,          Lapsi।              यवागूः,लप्सिका

    लस्सी,       Lassi,                     दाधिकम्


     शक्कर,       Sugar,                    शर्करा


   शक्करपारा,      Sweet potato,       शर्करापालः


     समोसा,     Samosa,                     समोषः


     हलुुुआ,   Pudding,              संयावः


     नमक,         Salt,             लवणम्


     शहद,   Honey,              मधु
       
       🙏🙏 डाँ.अभिनवःउपाध्यायः
जयतु संस्कृतम्                               जयतु भारतम्